केरल के पांच प्रसिद्ध त्यौहार, एक बार देखने जरूर जाएं
भारत के दक्षिण पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सहयाद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य में स्थित केरल अपने त्योहारों के रंग से दुनिया में जाना जाता है। केरल को ईश्वर का अपना घर कहा जाता है क्योंकि यहाँ पे खूबसूरत कलाकृतियां, त्योहार, खूबसूरत स्थान, भारी संख्या में देखने को मिलता है। भारत की राजनीतिक प्रयोगशाला कहा जाने वाला केरल अपने खूबसूरत त्योहारों की वजह से समूचे विश्व में प्रचलित है। केरल के त्यौहारों का लुत्फ़ उठाने के लिए सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है। आइये आपको बताते हैं केरल के कुछ महत्वपूर्ण खूबसूरत त्यौहार जिनका लुत्फ़ केरल जाकर आसानी से उठाया जा सकता है।
ओणम
ओणम केरल का सबसे प्राचीन त्योहार है। ओणम एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस त्योहार में पूरे केरल को फूलों से सजा दिया जाता है। ओणम का उमंग केरल के सभी नागरिकों के द्वारा मनाया जाता है। ओणम अमूमन फसल से जुड़ा साल में एक बार आने वाला त्योहार है। यह मलयालम माह चिंगोम में मनाया जाता है। इस त्योहार की अद्भुतता यहां पर आयोजित खेलों से बढ़ जाती है। ओणम थिरुओनम के भी नाम से जाना जाता है। पुलकम का यह सृजन मंदिरों, घरों, पंडालों में मनाया जाता है। इसी दिन नौका दौड़ जैसे प्रसिद्ध खेलों का आयोजन किया जाता है जिसे देखने विश्व से भी सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है।
नाव त्योहार
नाव त्योहार केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक है। केरल के लोगों को नौका से अद्वितीय प्रेम है, यही कारण है कि केरल में इस तरह के त्यौहारों का आयोजन लगातार किया जाता रहता है। यह नाव त्यौहार बोट फेस्टिवल के नाम से प्रसिद्ध है। नाव त्योहार के दिन बड़ी संख्या में नौकाओं की श्रृंखला में दौड़ प्रतियोगिता कराया जाता है, और जीतने वालों को पुरस्कारों से नवाजा जाता है, केरल का लोकप्रिय खेल नाव त्योहार अपने खास प्रदर्शनीय चुंबकीय बल से देश ही नहीं समूचे विश्व को अपनी ओर खींच लाता है। फूलों की माला से दुल्हन जैसी सजी नाव का मनोहारी एवं अद्भुत दृश्य संयोग दिखता है। यहां की कुछ लोकप्रिय ट्राफियां है जैसे नेहरू ट्रॉफी बोट रेस, चम्प्कुलम मूल बोट रेस आदि। साथ ही कुछ बड़े जल उत्सव में पल्पदाद, पूननामदा झील पीलपाद जलोत्सव शामिल हैं।
विष्णु महोत्सव
केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक विष्णु महोत्सव आतिशबाजी व रंगमयी प्रदर्शनी से प्रसिद्ध है।इसे विष्णु त्योहार के भी नाम से जाना जाता है,राज्य के मलयाली आबादी के लिए विष्णु त्यौहार नए साल के पर्व के रूप में मनाया जाता है।यह अप्रैल माह का सबसे बड़ा पर्व है,इसी दिन कन्या कनल की प्रथा पूरे केरल में मशहूर है इस प्रथा में यह मान्यता है कि आने वाले वर्ष का भाग्य इस बात पर निर्भर करता है कि इसी दिन सुबह क्या वस्तु देखी गई है। केरल में ये बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है और लोगों का उत्साह देखने योग्य होता है, साथ ही इस त्योहार के दिन युवा सदस्यों को पैसा वितरित किया जाता है, जो अनेक अनेक पहलुओं के रूप में देखने को मिलता है, इस त्योहार का सबसे मनोहारी दृश्य रात को माना जाता है इसी दिन आतिशबाजी की जाती है।
अट्टुकल पोंगल महोत्सव
पोंगल महोत्सव केरल के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, ये दस दिवसीय पर्व खास तौर पर महिलाओं के द्वारा किया जाता है। बिना भेदभाव के तमाम प्रकार की जातियां एक साथ आकर इस पर्व का आनंद लेती हैं। इसको एकता की मिसाल भी दिया जाता है, ये यह त्योहार मलयालम माह मकरम कुम्भम यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी के अंत में भरानी दिवस के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार अमूमन महिलाओं के द्वारा तिरुवनंतपुरम शहर में देवी पार्वती के मंदिर के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन प्रसाद के रूप में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और वो माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, जिसमें चावल और केले से बनी कई वस्तुएं विश्व प्रसिद्ध हैं।
त्रिशुरपुरम् महोत्सव
त्रिशुरपुरम् महोत्सव केरल का 200 वर्ष पुराना महोत्सव है। यह त्योहार एकता और भाईचारे का प्रतीक है। यह त्योहार दिन पर दिन ख्याति प्राप्त कर रहा है जिसमें भगवान शिव के सम्मान में अप्रैल के महीने में प्रसिद्ध मंदिर वडकुकनाथ में मनाया जाता है। पूरे केरल में सबसे लंबी पूजा इसी त्योहार के दिन की जाती है, यह पूजा पूरे छत्तीस घंटे लंबी पूजा होती है। साथ ही आतिशबाजियों और फूलों की खुशबू से पूरा केरल महकता रहता है। केरल में इसी दिन रंग, संगीत और भक्ति के संगम में पूरा केरल डूबा रहता है। सबसे मनोहारी दृश्य तब देखने को मिलता है जब हाथी ड्रम की आवाज पर थिरकते हुए सड़क पर निकलते हैं।
ओणम
ओणम केरल का सबसे प्राचीन त्योहार है। ओणम एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस त्योहार में पूरे केरल को फूलों से सजा दिया जाता है। ओणम का उमंग केरल के सभी नागरिकों के द्वारा मनाया जाता है। ओणम अमूमन फसल से जुड़ा साल में एक बार आने वाला त्योहार है। यह मलयालम माह चिंगोम में मनाया जाता है। इस त्योहार की अद्भुतता यहां पर आयोजित खेलों से बढ़ जाती है। ओणम थिरुओनम के भी नाम से जाना जाता है। पुलकम का यह सृजन मंदिरों, घरों, पंडालों में मनाया जाता है। इसी दिन नौका दौड़ जैसे प्रसिद्ध खेलों का आयोजन किया जाता है जिसे देखने विश्व से भी सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है।
नाव त्योहार
नाव त्योहार केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक है। केरल के लोगों को नौका से अद्वितीय प्रेम है, यही कारण है कि केरल में इस तरह के त्यौहारों का आयोजन लगातार किया जाता रहता है। यह नाव त्यौहार बोट फेस्टिवल के नाम से प्रसिद्ध है। नाव त्योहार के दिन बड़ी संख्या में नौकाओं की श्रृंखला में दौड़ प्रतियोगिता कराया जाता है, और जीतने वालों को पुरस्कारों से नवाजा जाता है, केरल का लोकप्रिय खेल नाव त्योहार अपने खास प्रदर्शनीय चुंबकीय बल से देश ही नहीं समूचे विश्व को अपनी ओर खींच लाता है। फूलों की माला से दुल्हन जैसी सजी नाव का मनोहारी एवं अद्भुत दृश्य संयोग दिखता है। यहां की कुछ लोकप्रिय ट्राफियां है जैसे नेहरू ट्रॉफी बोट रेस, चम्प्कुलम मूल बोट रेस आदि। साथ ही कुछ बड़े जल उत्सव में पल्पदाद, पूननामदा झील पीलपाद जलोत्सव शामिल हैं।
विष्णु महोत्सव
केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक विष्णु महोत्सव आतिशबाजी व रंगमयी प्रदर्शनी से प्रसिद्ध है।इसे विष्णु त्योहार के भी नाम से जाना जाता है,राज्य के मलयाली आबादी के लिए विष्णु त्यौहार नए साल के पर्व के रूप में मनाया जाता है।यह अप्रैल माह का सबसे बड़ा पर्व है,इसी दिन कन्या कनल की प्रथा पूरे केरल में मशहूर है इस प्रथा में यह मान्यता है कि आने वाले वर्ष का भाग्य इस बात पर निर्भर करता है कि इसी दिन सुबह क्या वस्तु देखी गई है। केरल में ये बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है और लोगों का उत्साह देखने योग्य होता है, साथ ही इस त्योहार के दिन युवा सदस्यों को पैसा वितरित किया जाता है, जो अनेक अनेक पहलुओं के रूप में देखने को मिलता है, इस त्योहार का सबसे मनोहारी दृश्य रात को माना जाता है इसी दिन आतिशबाजी की जाती है।
अट्टुकल पोंगल महोत्सव
पोंगल महोत्सव केरल के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, ये दस दिवसीय पर्व खास तौर पर महिलाओं के द्वारा किया जाता है। बिना भेदभाव के तमाम प्रकार की जातियां एक साथ आकर इस पर्व का आनंद लेती हैं। इसको एकता की मिसाल भी दिया जाता है, ये यह त्योहार मलयालम माह मकरम कुम्भम यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी के अंत में भरानी दिवस के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार अमूमन महिलाओं के द्वारा तिरुवनंतपुरम शहर में देवी पार्वती के मंदिर के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन प्रसाद के रूप में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और वो माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, जिसमें चावल और केले से बनी कई वस्तुएं विश्व प्रसिद्ध हैं।
त्रिशुरपुरम् महोत्सव
त्रिशुरपुरम् महोत्सव केरल का 200 वर्ष पुराना महोत्सव है। यह त्योहार एकता और भाईचारे का प्रतीक है। यह त्योहार दिन पर दिन ख्याति प्राप्त कर रहा है जिसमें भगवान शिव के सम्मान में अप्रैल के महीने में प्रसिद्ध मंदिर वडकुकनाथ में मनाया जाता है। पूरे केरल में सबसे लंबी पूजा इसी त्योहार के दिन की जाती है, यह पूजा पूरे छत्तीस घंटे लंबी पूजा होती है। साथ ही आतिशबाजियों और फूलों की खुशबू से पूरा केरल महकता रहता है। केरल में इसी दिन रंग, संगीत और भक्ति के संगम में पूरा केरल डूबा रहता है। सबसे मनोहारी दृश्य तब देखने को मिलता है जब हाथी ड्रम की आवाज पर थिरकते हुए सड़क पर निकलते हैं।