भारत का स्विट्ज़रलैंड है हिमालय की गोद में बसा कौसानी
उत्तराखंड का छोटा सा पहाड़ों के बीच बसा खूबसूरत गांव है कौसानी। यहां पर्वतों की ऊंची चोटियां, घने जंगल, देवदार के पेड़ और सुहाना मौसम पर्यटकों को आकर्षित करता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कौसानी में आपको त्रिशूल, नंदादेवी और पंचचुली जैसी हिमालय चोटियां दिखती हैं। छुट्टियों में प्राकृतिक सौंदर्य और सुहाने मौसम का लुत्फ उठाना हो तो इस छोटे से हिल स्टेशन की सैर कर आएं।
कौसानी को पहले वालना के नाम से जाना जाता था। 1929 में महात्मा गांधी ने अनासक्ति योग पर अपना काम करने के लिए इस गांव में डेरा डाला और काफी दिनों तक यहां रुके थे। इस पहाड़ी क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए महात्मा गांधी ने इसे “भारत का स्विट्जरलैंड” कहा था। कौसानी में सूर्योदय का नज़ारा अद्भुत होता है। कौसानी जाने पर इन मशहूर जगहों की सैर अवश्य करें।
पंत म्यूज़ियम
पंत म्यूज़ियम में हिंदी के मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंतजी की जीवन से जुड़ी वस्तुओं के साथ उनकी कविताओं की पांडुलिपियां व पत्र आदि मौजूद हैं। यह संग्राहलय कौसानी बस अड्डे से कुछ ही दूरी पर है।
कौसानी चाय बागान
यहां के चाय बागान पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां गिरियाज उत्तरांचल चाय 208 हेक्टेयर में फैले बागान में उगाई जाती है। यहां आकर आप बागानों की सैर के साथ ही चाय फैक्ट्री के अंदर का भी नज़ारा देख सकते हैं।
सोमेश्वर मंदिर
यह मंदिर कत्युरी शैली में बना जो बहुत आकर्षक लगता है। मंदिर कौसानी से 19 किलोमीटर की दूरी पर है।
पिनाकेश्वर
यह बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है। ट्रैकिंग के शौकीनों के बीच यह जगह बहुत मशहूर है। पिनाकेश्वर के पास ही में एक गोपालकोट, हरिया तथा बूढा पिनाकेश्वर भी है जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
अनासक्ति आश्रम
यह आश्रम महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था, इसलिए इसे गांधी आश्रम भी कहा जाता है। गांधी जी ने कौसानी के सौंदर्य से प्रेरित होकर अपनी पुस्तक 'अनासक्ति योग' की रचना यहीं की थी। आश्रम में गांधी जी से जुड़ी कई सामग्रियां मौजूद हैं।
जब कभी काम के दवाब से थक जाएं और रिलैक्स करने का मूड हो, तो कौसानी की सैर कर आएं। यहां की कुदरती खूबसूरती आपका तनाव पल में छूमंतर कर देगी। कौसानी जाने के लिए नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम और एयरपोर्ट पंतनगर है।