ऐतिहासिक अवशेषों का केंद्र नालंदा, ऐतिहासिक जानकारियों और पर्यटन दोनों नजरिये से बेहद हैं खास
नालंदा बिहार प्रान्त का एक जिला है। यह स्थान अपने प्राचीन रोचक इतिहास के लिए लोकप्रिय है। नालंदा जिले की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारक यहां मौजूद नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष है। दूर दराज से आज भी लोग यहां इतिहास को जानने, परखने, अध्ययन के कारण आते हैं। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है माना जाता है क्योंकि महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति नालंदा जिले में स्थित पावापुरी में कीया था। सारिपुत्र बुद्ध के प्रमुख छात्रों में से एक है, बौद्ध के इस छात्र का भी ताल्लुकात नालंदा से ही है क्योंकि इसका जन्म नालंदा में ही हुआ था।इतिहास के रोचक जानकारियों के साथ साथ यह स्थान पर्यटन के नजरिए से भी बेहद खास है।
विश्व के तमाम रोचक जानकारियों और इतिहास के पन्ने में दफन उन कहानियों का सजीव चित्रण यहां देखने को मिलता है। भारत के राज्य बिहार का यह खूबसूरत जिला नालंदा कई मायनों में मशहूर है। यहां के प्रमुख केंद्रित करने वाले आकर्षणों में नालंदा विश्वविद्यालय का अवशेष, संग्रहालय नव नालंदा महावीर तथा ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल आदि है।यह सभी इतिहास के रोचक जानकारियों से जुड़े स्थान है। इतिहास के अलावा यह अन्य पर्यटन स्थान भी हैं। यहां भ्रमण करने के लिए कई पर्यटक स्थलों में राजगीर, पावापुरी, गया और बोध गया जैसे मशहूर स्थान है।
नालंदा का प्रमुख आकर्षण:
1. विश्वविद्यालय का अवशेष
इतिहास के पन्नों में दफन दुनिया के सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी नालंदा के अवशेष आज भी नालंदा जिले में मौजूद है।14 हेक्टेयर के स्थान में फैला यह अवशेष दूर दूर तक अपना कीर्तिमान स्थापित कर चुका है।नालंदा के इस स्थान पर की गई खुदाई में मिले सभी इमारतों का निर्माण लाल पत्थर से किया गया था। इस खूबसूरत परिसर का निर्माण दक्षिण से उत्तर की ओर किया गया है।परिसर के मुख्य इमारत बिहार थी।शिक्षकों द्वारा छात्रों को संबोधन करने के लिए बना यह परिसर मुख्य आंगन के समीप बना हुआ है। यहां सुरक्षित अवस्था में बचा एक प्रार्थनालय भी है, इस स्थान पर भग्न अवस्था में भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है।
2.नालंदा संग्रहालय
नालंदा के संपूर्ण इतिहास के ज्ञान प्रदान करने वाला यहां एक संग्रहालय है। यह संग्रहालय विश्वविद्यालय परिसर के विपरीत दिशा में बना हुआ है। इतिहास की तमाम बड़ी जानकारी प्रदान करने वाले इस संग्रहालय को पुरातत्वीय संग्रहालय कहा जाता है। नालंदा विश्वविद्यालय तथा नालंदा के अन्य क्षेत्रों में खुदाई किए जाने पर मिले प्रमुख अवशेषों को इसी संग्रहालय में रखा गया है।संग्रहालय में रखे गए प्रमुख वस्तुओं में भगवान बुद्ध की विभिन्न प्रकार की मूर्तियां, टेराकोटा मूर्तियां है। इतिहास में पाई जाने वाली धातुओं का भी अवलोकन इस संग्रहालय में किया जा सकता है। यहाँ ताम्बे के प्लेट, पत्थर पर टंकन, अभिलेख सिक्के बर्तन और बारहवीं सदी के चावल के जले हुए दाने तक संजो के रखे गए हैं। संग्रहालय जाने से पहले इसके विशेष नियमों को जानना आवश्यक है। यह संग्रहालय सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। सप्ताह के हर दिन (शुक्रवार को छोड़कर ) यह संग्रहालय खुला रहता है अपितु शुक्रवार को यह बंद रहता है।
3.नव नालंदा महाबिहार
नालंदा जिले में स्थित यह एक शिक्षण संस्थान है। दूर दराज से कई होनहार छात्र अपने भविष्य को तराशने यहाँ पढ़ाई करने आते हैं। यह एक लोकप्रिय शिक्षण संस्था है, जहां दाखिला मिलना ही सफलता के प्रथम सीढ़ी है। सबसे जानने योग्य बात यह है कि यहां पाली साहित्य तथा बौद्ध धर्म के पढ़ाई और अनुसंधान होता है।यह स्थान नालंदा के नए संस्थानों में से एक है। संस्थान के अनुसंधान की लोकप्रियता दूर दूर तक फैली हुई है। रोचक इतिहास के रंग में रंगा नालंदा जिले के खूबियों में यह संस्थान चार चाँद लगा देता है। यहां भारत से ही नहीं अपितु विदेशों से भी अपने भविष्य को तराशने तथा ज्ञान अर्जित करने कई छात्र आते हैं।यह शिक्षण स्थान नालंदा जिले का प्रमुख आकर्षण केंद्र है।
4. ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल
नालंदा जिले में स्थित यह एक नवनिर्मित भवन है।ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु थे। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आए थे। वह भारत में 15 वर्षों तक रहे। उन्होंने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उनके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है। यह मेमोरियल हॉल इन्हीं तीर्थ यात्री की याद में बनाया गया था। यहाँ ह्वेनत्सांग से संबंधित वस्तुओं तथा उनकी मूर्ति को निहारा जा सकता है। इस स्थान पर अक्सर इतिहास को रखने वाले लोग इतिहास के तत्वों में रुचि रखने वाले लोग जरूर आते हैं।
5. सूरजपुर बड़गांव
नालंदा के निकटवर्ती स्थलों में सुमार यह बेहद खूबसूरत स्थान है जहां हर वर्ष में दो बार मेले का आयोजन किया जाता है। यहां एक खूबसूरत झील के साथ भगवान सूर्य के प्रसिद्ध मंदिर भी है। यहां उपस्थित झील का आनंद आने वाले पर्यटकों के लिए खास होता है। यहां मौजूद सूर्य के प्रसिद्ध मंदिर भी विश्व विख्यात है। छठ के आगमन पर यह स्थान सैलानियों तथा स्थानीय लोगों ने धूमधाम से भर जाता है। यहां छठ को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। छठ का आनंद लेने दूर दूर से भी लोग आते हैं। यहां वर्ष में लगने वाले दो बार मेले में एक चैत (मार्च -अप्रैल) तथा दूसरा कार्तिक महीने में आयोजित किए जाते हैं।
कैसे पहुंचे नालंदा:
नालंदा पहुंचने के लिए यहां के रास्ते बहुत ही सुगम और सरल है। नालंदा वायुमार्ग, रेलमार्ग और सड़क तीनों मार्ग से जाया जा सकता है। वायु मार्ग की बात करें तो यहां सबसे निकटतम हवाई अड्डा जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा नालंदा से 89 किलोमीटर दूर पटना में स्थित है। हवाई अड्डा दिल्ली, लखनऊ, पटना, सीधी आदि स्थानों को जुड़ता है।
रेल मार्ग का चयन करने पर यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशन राजगीर पर उतरना होगा। सबसे खास बात यह है कि राजगीर जाने वाली सभी बस नालंदा होकर ही जाती हैं, जिससे आसानी से नालंदा पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग के जरिए नालंदा पहुंचने के लिए कई मार्ग जुड़े हुए हैं। जिनमें राजगीर, बोध गया, गया, पटना, पावापुरी, बिहार शरीफ आदि है। नालंदा से सबसे नजदीक राजगीर मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर है।