आस्था की नगरी और पर्यटन का केंद्र है प्रयागराज, एकबार जरूर जाएं घूमने
भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित तीर्थों का राजा कहा जाने वाला प्रयागराज अपने पर्यटन, कलाकृतियां, आस्था के केंद्र से समूचे विश्व में जाना जाता है। पवित्र नदी गंगा यमुना और सरस्वती के मेल से बना संगम प्रयागराज की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। प्रयागराज की शाम में गंगा की आरती की गूंज, अक्षयवट मंदिर की वो प्रतिमा, मनकामेश्वर मंदिर में गुलाब की खुशबू, बड़े हनुमान जी का प्रसाद, संगम में आस्था की डुबकी में डूब जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की संरचना हो जाने के बाद प्रथम बार यज्ञ प्रयागराज की पावन भूमि पर किया था और प्रथम यज्ञ के नाम से ही प्रयागराज नाम का उदय हुआ।
1556 में गद्दी पर विराजमान शासक अकबर ने प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया। 2018 मे उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद नाम को बदल कर पुनः प्रयागराज कर दिया। प्रयागराज में आस्था के केंद्र के साथ-साथ कई पर्यटन के भी क्षेत्र भी हैं।आइये जानते हैं इलाहाबाद के कुछ पर्यटन क्षेत्रो के बारे में जहां आप आसानी से जाकर मनोरंजन का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
संगम क्षेत्र
पवित्र नदी गंगा यमुना सरस्वती के मेल से बना है संगम जहां हजारों श्रद्धालु रोज अपने आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। संगम प्रयागराज का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जहां हर 6 साल पर अर्ध कुंभ तथा हर 12 वर्ष पर महाकुंभ लगता है तथा हर वर्ष माघ मेला के रूप में कुंभ का आयोजन किया जाता है। संगम प्रयागराज का सबसे बड़ा पर्व है जिसकी तैयारियां 4-5 महीने पहले से होने लगती हैं। जिसमें करोड़ों सैलानी आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। संगम नगरी में प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री समेत कई अन्य दिग्गज भी आस्था कि डुबकी लगाने आ चुके हैं। संगम मेले के दौरान भारत के अनेक राज्यों से व्यपारी भी अलग अलग क्षेत्र से अपने राज्य की विशिष्ट वस्तुओं को लेकर आते हैं।जो बहुत ही मनोभावनी व आकर्षक होती है। संगम के दौरान विदेश पक्षी साइबेरियन पक्षियों का भी आवागमन होता है जो इसे बेहद खूबसूरत बना देते हैं। संगम मे नौका विहार का भी अलग ही अंदाज है जिसमें लोग आंनद और आस्था दोनों का लुत्फ़ उठाते हैं।
अल्फ्रेड पार्क
1870 में निर्मित अल्फ्रेड पार्क एक सार्वजनिक पार्क है। इस पार्क का प्रवेश शुल्क 10 रुपये है। यह पार्क देशभक्ति के जाम में डूबा रहता है क्योंकि वीर देशभक्त चंद्रशेखर आज़ाद की विशाल प्रतिमा इसी पार्क में है और अंग्रेजों की गुलामी के दौरान चारों तरफ से अंग्रेज अफसरों से घिर जाने पर चन्द्र शेखर आजाद ने स्वयं को को गोली इसी पार्क में मारी थी।यह पार्क पर्यटन के रूप में भी काफी मनोहारी है क्यों कि इस पार्क का सौन्दर्यकरण वृक्षों और फूल के पौधों से किया गया है जो मन मोहित है।लोग अक्सर यहां चन्द्र शेखर आजाद की प्रतिमा का दर्शन करने और उनका माला अर्पण करने आते हैं।इसी पार्क के अंदर इलाहाबाद म्यूजियम भी है म्यूजियम में इतिहास की कई धरोहर वस्तुओं को सजा के रखा गया है। जिसमें चन्द्र शेखर आजाद की पिस्तौल जो उनके आखिरी सांस का कारण बनी समेत वो गाड़ी भी मौजूद हैं जिससे महात्मा गांधी की अस्थियों को संगम ले जाया गया था।
अक्षयवट
प्रयागराज के आस्था का दूसरा केंद्र हैं अक्षयवट। पुराणों के अनुसार माना जाता है प्रलय के दौरान जब पूरी पृथ्वी जल से डूब गई थी तो उस समय एक वृक्ष बच गया था जिसे बाद में अक्षय वट के नाम से जाना गया। अक्षयवट के पुराने इस इतिहास में यह भी माना जाता है इसी वृक्ष के एक पत्ते पर विद्यमान हो कर बाल रूप ईश्वर पृथ्वी के सभी रहस्यों का अवलोकन कर रहे थे। लोग अक्षयवट का दर्शन करने से अपने को पुण्य का भागी मानते हैं। यह आस्था के केंद्र के साथ-साथ पर्यटन के नजरिए से भी काफी रोचक है।संगम के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। अक्षयवट का दर्शन करना पूर्णतः नि:शुल्क है यहां पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता।
लेटे हनुमान जी का मंदिर
संगम तट के निकट मौजूद लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर आस्था व पर्यटन दोनों का प्रतीक है।हर सप्ताह के मंगलवार को यहां भारी मात्रा में भीड़ इकट्ठी होती है जो हनुमान जी के दर्शन के लिए आती है। लोगों का यह भी मानना है कि लेटे हनुमान जी के मंदिर संगम तट के निकट गंगा नदी के पास होने के कारण यह मंदिर बेहद ही शुद्ध और मन को शांति देने का प्रतीक है।
अकबर का किला
1583 में मुगल शासक अकबर के द्वारा निर्मित अकबर का किला संगम तट के निकट मौजूद है। पुराने इतिहास को जिंदा करने की ताजा तस्वीरें यहाँ मौजूद हैं। ये किला अधिक पुराना हो जाने के कारण अब सैलानियों का और आम लोगों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है।इसका अधिकांश भाग सेना के प्रयोग में आता है। परन्तु कुछ हिस्से अभी भी पर्यटकों के लिए खोले गए हैं जिनमें जोधा बाई महल, अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप शामिल है। इस किले में तीन बड़ी गैलरियां हैं जिसमें कई ऊंची मीनारे हैं।