7 महीने बाद पर्यटकों के लिए खोला गया स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी, जानें इससे जुड़ी ख़ास बातें

कोरोना महामारी के चलते मार्च से सभी पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया था। लेकिन अब अनलॉक की प्रक्रिया के तहत धीरे-धीरे सभी सार्वजानिक और पर्यटन स्थलों को खोला जा रहा है। इसी बीच आज यानि 17 अक्टूबर से दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को  6 महीने बाद फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। वडोदरा में स्थित इस स्टैच्यू को देखने दुनियाभर से लोग आते हैं। सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (एसएसएनएनएल) ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को जनता के लिए फिर से खोलने के लिए गाइडलाइन्स जारी की हैं। यहाँ घूमने आने वाले पर्यटकों को इन गाइडलाइन्स का पालन करना अनिवार्य है। आइए जानते हैं स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी से जुड़ी खास बातें -    

182 मीटर ऊँची है सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित यह मूर्ति 
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गुजरात के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध से 3।5 किलोमीटर पर स्थित है। यह 182 मीटर ऊंची है। देश के लौह पुरुष यानि सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित इस प्रतिमा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर 2018 को किया गया था। इस मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और इस मूर्ति का कुल वजन 1700 टन है। यह मूर्ति ऊंचाई में अमेरिका के 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' से दोगुनी है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। इस मूर्ति का निर्माण शिल्पकार राम वी सुतार की देखरेख में हुआ है और इसे बनाने में करीब 3 हजार करोड़ रूपए का खर्चा आया था। इस मूर्ति को बनाने में करीब 44 महीनों का वक्त लगा है और इसे बनाने का ठेका लार्सन एंड टर्बो कंपनी को दिया गया ता। इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी हैं जिनके माध्यम से मूर्ति की छाती तक पहुँचा जा सकता है। यहाँ से आप सरदार सरोवर बांध का और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकते हैं। 
 

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तीव्र भूकंप और हवा के झोंकों में भी स्थिर खड़ी रह सकती है 
सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह भव्य मूर्ति 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ी रह सकती है। इसके साथ ही यह 6।5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकती है। इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों का भी योगदान रहा है। इस प्रोजेक्ट में लगभग 200 कर्मचारियों जुड़े हुए थे। इस मूर्ति के निर्माण में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। इसमें 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है। इस मूर्ति के साथ-साथ एक वैली ऑफ़ फ्लॉवर भी बनाया गई है जो 250 एकड़ में फैली हुई है। यहाँ 100 से ज़्यादा तरह के फूल लगाए गए हैं। यहाँ आने वाले पर्यटकों को स्टैच्यू देखने के लिए 350 रूपए का टिकट खरीदना होगा।