आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली है यह दुनिया का सबसे छोटा रेगिस्तान, जानकर दंग रह जाएंगे आप

दुनियाभर में कई ऐसी जगहें हैं जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बनी हुई हैं। आपने सहारा डेज़र्ट और सऊदी अरब के रेगिस्तानों के बीरे में जरूर पढ़ा-सुना होगा या शायद देखा भी होगा लेकिन आज हम आपको एक अनोखे रेगिस्तान के बारे में बताएंगे।  क्या आपने एक ऐसे रेगिस्तान के बारे में सुना है जहाँ बर्फ गिरती हो? जी हाँ, दुनिया के सबसे छोटे, कारक्रॉस नाम के रेगिस्तान में सर्दियों में बहुत बर्फ गिरती है।  आज भी यह जगह वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली है।  वैज्ञानिक आज भी इस बात से हैरान हैं कि एक बर्फीले इलाके में यह रेगिस्तान कैसे बन गया। आइए जानते हैं इस रहस्मय रेगिस्तान के बारे में -
 
कनाडा के युकोन में स्थित है कारक्रॉस रेगिस्तान
कारक्रॉस रेगिस्तान कनाडा के युकोन राज्य में स्थित, दुनिया का सबसे छोटा डेजर्ट है। यह रेगिस्तान महज एक वर्ग मील में फैला हुआ है जिसे आप पैदल चलकर भी नाप सकते है। इस रेगिस्तान के पास कारक्रॉस गांव नाम का एक गाँव भी है जो लगभग 4500 साल पहले बसा था। इस समय कारक्रॉस गाँव में कुल 301 लोग रहते हैं। स्थानीय निवासियों के मुताबिक यह छोटा सा रेगिस्तान आज भी यहाँ के लोगों के लिए एक पहेली है। कारक्रॉस डेजर्ट काफी ऊंचाई वाले क्षेत्र में है।  काफी सालों तक तो लोगों को इस इलाके के बारे में जानकारी नहीं थी।  लेकिन बाद में धीरे-धीरे लोगों को इसके बारे में पता चला और अब यहाँ पर हर साल हजारों पर्यटक आते हैं।  इस इलाके में बारे में कहा जाता है कि यहाँ करीब 4500 साल पहले बैनेट और नारेस झीलें आपस में मिलती थीं, इसी वजह से यहां पर कुदरती पुल बन गया था। इस पुल के सहारे ही लोग यहाँ आने लगे और इस तरह यहाँ कारक्रॉस गांव बसा।

कारक्रॉस गाँव के नाम के पीछे है दिलचस्प कहानी
इस रेगिस्तान के नाम के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।  दरअसल, पुल बनने के बाद यहाँ पर कारिबू नामक जंगली जनजाति का निवास था। इन्हीं के साथ नताशाहीन नदी के नजदीक शिकार के मकसद से तिलिंगित और तागिश नाम के घुमंतू कबीले भी आकर बसने लगे। ये कबीले आपस में झीलों को क्रॉस करके इधर-उधर आते जाते थे।  यही वजह थी कि कारिबू और क्रॉसिंग शब्दों को मिलाकर इस गाँव का कारक्रॉस नाम पड़ा।
 

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पर्यटकों के साथ-साथ वैज्ञानिकों के लिए भी है एक पहेली
हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि यहाँ पर सर्दियों के मौसम में खूब बर्फ पड़ती है। आज के समय में कारक्रॉस रेगिस्तान पर्यटकों के बीच एक एडवेंचर प्लेग्राउंड के तौर पर काफी लोकप्रिय है। सर्दी के मौसम में यहां बर्फ खूब पड़ती है और बड़ी संख्या में लोग यहाँ रेत पर जमा बर्फ का मजा लेने आते हैं।  कारक्रॉस रेगिस्तान सिर्फ पर्यटकों के बीच ही लोकप्रिय नहीं है बल्कि कनाडा के वैज्ञानिकों और भूवैज्ञानिकों के लिए रिसर्च सेंटर भी है।  आज भी वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि पूरे बर्फीले इलाके में ये छोटा-सा रेगिस्तान कैसे बन गया। अमर उजाला में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक युकोन जियोलॉजिकल सर्वे की भूवैज्ञानिक पनाया लिपॉस्की के मुताबिक कारक्रॉस का जन्म कुदरत की करीब दस हजार साल की मेहनत का नतीजा है। उनका कहना है कि करीब 11 से 24 हजार साल पहले विस्कॉन्सिन मैक्कॉनेल ग्लेशियर बनने के दौरान ही उत्तरी युकोन में ग्लेशियर जम गया था। उस वक्त कारक्रॉस में करीब एक किलोमीटर बर्फ जम गई थी, लेकिन बाद में जब बर्फ पिघलने लगी तो दक्षिणी युकोन में पानी बढ़ने लगा और इसी पानी से यहां बड़ी नहरें बनीं। चूंकि ग्लेशियर पिघल चुका था लिहाजा जब उत्तर-पश्चिम से रेतीली हवाएं चली तो उसने इस ऊंचाई पर दुनिया का असंभव सा रेगिस्तान बना दिया। हालांकि यहाँ मौजूद कुछ स्थानीय लोगों माँ मानना है कि झील सूखने की वजह से ये रेगिस्ताना बना है, जबकि ऐसा नहीं है। लिपॉस्की के मुताबिक आज भी बैनेट झील के पास तेज रेतीली हवाएं चलती हैं जिसकी वजह से यहां छोटे-छोटे रेत के टीले बन जाते हैं।