देश का इकलौता ऐसा मंदिर जहाँ चायनीज लोग करते हैं माँ काली की पूजा, प्रसाद के तौर पर बंटता है नूडल्स

यूं तो भारत के हर हिस्से में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है लेकिन पश्चिम बंगाल विशेष रूप से माँ काली की भक्ति के लिए जाना जाता है।वैसे तो बंगाल  में कई प्राचीन काली मंदिर हैं लेकिन यहाँ एक ऐसा काली मंदिर भी है जो बाकी मंदिरों से बिल्कुल अलग है। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहाँ आने वाले ज्यादातर भक्त चायनीज हैं। इतना ही नहीं, यहाँ प्रसाद के तौर पर नूडल्स और चॉप्सी बंटती है। आइए जानते हैं इस अनोखे काली मंदिर के बारे में -   

कहाँ है चायनीज काली मंदिर 
यह मंदिर कोलकाता से 12 किलोमीटर दूर टांग्रा शहर में स्थित है। यहाँ पर बहुत से चायनीज परिवार रहते हैं इसलिए इस जगह को चाइना टाउन भी कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ हिन्दू धर्म के लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में चायनीज लोग भी पूजा करने आते हैं। इस इलाके में रहने वाले चायनीज लोग ही इस मंदिर की देख-रेख करते हैं और यहाँ हिंदू धर्म और परंपराओं के अनुसार ही पूजा की जाती है। यहाँ आने वाले सभी भक्त जूते-चप्पल मंदिर के बाहर खोल कर ही मंदिर में प्रवेश करते हैं।     

मंदिर को लेकर है यह मान्यता 
इस मंदिर के निर्माण को लेकर कई कहानियाँ प्रचलित हैं। यहाँ के स्थानीय लोगों के मुताबिक करीब 50-60 साल पहले यहाँ एक पेड़ के नीचे दो काले पत्थरों पर सिंदूर लगाकर लोग उन्हें देवी मानकर पूजा करते थे। एक बार इलाके में रहने वाले एक चीनी दंपति के बच्चे की तबीयत बेहद खराब हो गई थी। कई जगह इलाज कराने के बाद भी बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। तब वह चीनी दंपति अपने बच्चे को लेकर इस पेड़ के नीचे बैठ गया और माँ काली से अपने बच्चे को बचाने की प्रार्थना करने लगे। इसके बाद माता के चमत्कार से बच्चे की तबियत ठीक हो गई। उस दिन से लोगों के मन में इस जगह के प्रति आस्था पैदा हो गई। इसके बाद इलाके के लोगों ने यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया और काली माँ की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करने लगे। आज भी वो दो काले पत्थर इस मंदिर में मौजूद हैं। 

माँ काली को चढ़ता है नूडल्स का प्रसाद
इस मंदिर में अन्य मंदिरों की तरह लड्डू, पेड़ा नहीं बल्कि चायनीज खाने का प्रसाद माता को चढ़ता है। यहाँ प्रसाद के तौर पर भक्तों को नूडल्स, चॉप्सी, चावल और सब्जियों से बने व्यंजन दिए जाते हैं। नवरात्रों में यहाँ विशेष पूजा होती है और भोग लगता है। कुछ चायनीज लोग नवरात्रि का व्रत भी रखते हैं और फलाहार करते हैं।