साधू महात्माओं की दिव्य वाणी से गूंजने वाला, आध्यात्मिक और बेहद खूबसूरत अगस्तमुनि आश्रम, एक बार दर्शन करने जरुर जाएं
आस्था के प्रति संवेदना रखने का भारत का एक पुराना इतिहास रहा है।साधु महात्माओं का ज्ञान को दिव्य वाणी की संज्ञा देने की पुरानी विश्वसनीय परंपरा रही है। ऋषियों मुनियों का तप और इनके ज्ञान से भरी वाणी को सुनने को लोग लालायित रहते हैं। महात्माओं के योग और तब का सम्मान करना गौरव की बात होती है। ऋषियों और महात्माओं की जब भी बात आती है तो प्रसिद्ध हिन्दू मुनि अगस्त्य ऋषि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
आज हम अगस्त्य मुनि के आश्रम और उनकी तपस्या से जुड़ी कई अहम बातों पर चर्चा करेंगे। अगस्त्य मुनि का आश्रम 1000 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। तपस्या के गुणों से भरे इस आश्रम को अगस्त्य से मुनि का घर माना जाता है। माना जाता है कि मुनि अगस्त्य यहां कई वर्षों तक तपस्या की थी यही कारण है कि इस स्थान को देव तुल्य का दर्जा दिया जाता है।
स्थानीय लोग यहां स्थित मंदिर को अगस्तेश्वर महादेव मंदिर के नाम से पुकारते हैं। इस स्थान पर स्थित मंदिर के सबसे खास बात यह है कि यहां के पत्थर की दीवारों पर आगंतुक प्रख्यात हिन्दू देवी देवताओं की तराशे गए चित्रों का अवलोकन किया जा सकता है।
पर्यटन के नजरिये से यह मंदिर बेहद खास है, क्योंकि यहां पर आयोजित होने वाले मेलों में भारी संख्या में पर्यटक अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। प्रमुख त्योहारों की बात करें तो बैसाखी पर्व यहां बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है इस दिन यहां के स्थानीय लोग और आए हुए पर्यटकों दोनों हर्ष और उल्लास में झूमते हैं।
मंदिर का मुख्य आकर्षण
तपो भूमि के नाम से जाने जानी वाली यह मंदिर आकर्षण के हर उन मूल तत्वों पर खरी उतरती हैं, जिन्हें एक पर्यटक अपनी खुली आंखों से निहारना चाहते हैं। यह मंदिर मंदाकिनी नदी के पास स्थित है। मछलियां पकड़ने के शौकीन लोग इस नदी के किनारे मछलियां भी पकड़ सकते हैं। केदारनाथ मंदिर तक ले जाने वाले पवन हंस हेलीकॉप्टर के लिए यह मुख्य आधार स्थान है।
पर्यटकों और अतिथियों के लिए हर सुविधा में लैस यह विशेष स्थान प्रमुख होटलों और वन विभाग के अतिथि गृह में पर्यटकों के खाने पीने ठहरने की उत्तम सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस मंदिर के आकर्षण में सबसे प्रमुख स्थान अगस्तमुनि मंदिर को दिया जाता है। यहां घूमने आए पर्यटकों को इस मंदिर का दर्शन करने की सलाह अवश्य दी जाती है। यह मंदिर यहां के प्रमुख आकर्षण केंद्रों में शुमार है।
मंदिर को देखने और इस आस्था के प्रतीक मंदिर पर मत्था टेकने हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां आए पर्यटकों के लिए सबसे खास बात यह है कि यहां की आध्यात्मिक और आस्थामयि दुनिया के इतिहास के रस में अक्सर पर्यटक डूब जाते हैं। शांति की तलाश में निकले पर्यटकों के लिए यह बेहद खूबसूरत स्थान है यहां शांति भरा वातावरण आसानी से प्राप्त हो जाता है।
स्थानीय खाने की वस्तुएं
आस्था के प्रतीक यह मंदिर और तपो भूमि आश्रम के अलावा यह स्थान नाश्ते और खाने पीने के वस्तुओं लिए भी बेहद मशहूर है। यहां के मुख्य लोकल फूड की बात करें तो यह गढ़वाली और कुमाउनी है। आलू के गटके, राहत, कापा, यहां के प्रमुख व्यंजन है।
कब और कैसे जाएं अगस्तमुनि आश्रम
इस प्रमुख आस्था के प्रतीक और अध्यात्म के इतिहास में पिरोया हुआ इस स्थान पर वर्ष के तीन महीने छोड़ कर कभी भी जाया जा सकता है। यहाँ न जाने वाले महीनों में जुलाई, अगस्त और सितंबर है। इन तीन महीने के अलावा किसी भी महीने में यह आसानी से जा कर यहां के खूबसूरत स्थानों का आनंद का उठाया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में इस स्थान पर विशेष रूप से ठंड का वातावरण बना रहता है।
इस प्रमुख स्थान पर रेल हवाई और सड़क तीनों मार्गों के जरिए पहुंचा जा सकता है। यहां के सबसे नजदीकी हवाई अड्डे की बात करें तो वह देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट मंदिर के मुख्य स्थान से 107 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से प्राइवेट टैक्सी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बस और निजी कैब गंतव्य तक जाने के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाती है।