नवरात्रि में इन 7 प्रसिद्ध माँ दुर्गा के मंदिरों में करें दर्शन, हर मनोकामना होगी पूरी

जल्द ही नवरात्रि पर्व शुरू होने वाला है। नवरात्रि के नौ दिनों में भक्तजन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करते हैं। हिन्दु धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्त्व है क्योंकि श्राद्ध खत्म होते ही, नवरात्रि शुरू होने के साथ ही शादी-विवाह व अन्य शुभ कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। नवरात्रि में जगह-जगह दुर्गा पूजा के पंडाल सजाए जाते हैं और मंदिरों में भी भक्तों की भारी उमड़ पड़ती है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में माँ दुर्गा के कई मंदिर हैं। चाहे जम्मू की वैष्णो माता हों, कलकत्ता की काली हों या असम की कामख्या देवी, भक्त हर रूप में माता के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से आते हैं। आज के इस लेख में हम आपको भारत में प्रसिद्ध माँ दुर्गा के मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। इन सभी मंदिरों की अपनी अलग विशेषता है और ऐसा माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने आए भक्तों की सभी मनोकामनाएँ माता पूरी करती हैं - 

वैष्णों देवी, जम्मू 
कटरा में स्थित मां वैष्णो देवी का मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जम्मू से 61 किमी उत्तर की ओर, त्रिकूट पर्वत पर बसे इस मंदिर को लेकर विशेष धार्मिक मान्यताएं हैं। वैसे तो साल भर यहाँ माता के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि में यहाँ भक्तों की संख्या काफी बढ़ जाती है। यहां वैष्णो माता की गुफा के दर्शन करने पर पिंडी स्वरूप में माता के तीन स्वरूप दिखाई देते हैं। वैष्णो देवी मंदिर के पास ही भैरवनाथ धाम भी है। ऐसा माना जाता है कि माँ वैष्णो देवी के दर्शन के बाद भैरव बाबा के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती है।  
 

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ज्वाला जी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित ज्वाला जी मंदिर में माता दुर्गा के नौ रूपों की ज्योति सदैव जलती रहती है। इन नौ ज्योतियों के नाम हैं - महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजीदेवी। इस मंदिर में शक्ति के नौ रूपों के दर्शन ज्योति रूप में होते हैं, यही वजह है कि इसे जोता वाली का मंदिर के नाम से भी जाता है। 

मनसा देवी मंदिर, उत्तराखंड 
हरिद्वार के पास झुंझुनू गांव में स्थित मनसा देवी मंदिर को लेकर भक्तों में बहुत आस्था है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि माँ दुर्गा यहाँ आने वाले भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती हैं इसलिए इसे मनसा देवी मंदिर कहा जाता है। यहाँ आए श्रद्धालु मंदिर में मौजूद पेड़ की शाखा पर पवित्र धागा बांधते हैं और मन्नत माँगते हैं। माना जाता है कि यहाँ पेड़ पर धागा बाँधने से हर मनोकामना पूरी होती है। मन्नत पूरी होने के बाद भक्त यहाँ वापस आकर धागे को खोलते हैं। 

 

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पाटन देवी, उत्तर प्रदेश 
उत्तरप्रदेश के बलरामपुर में स्थित पातालेश्वरी देवी को ही पाटन देवी के नाम से जाना जाता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार इसी स्थान पर माता सीता धरती माँ की गोद में समाकर पाताल लोक चली गई थीं, इसीलिए इस स्थान को पावालेश्वरी देवी कहा जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ कोई प्रतिमा नहीं है, सिर्फ एक चांदी का चबूतरा है, जिसके नीचे सुरंग ढकी हुई है।  

करणी माता मंदिर, राजस्थान 
राजस्थान के बीकानेर में स्थित करणी माता मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में करीब 20 हज़ार के आस-पास चूहे रहते हैं, इसलिए  इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में करणी माता की प्रतिमा स्थापित है। करणी माता को माँ जगदम्बा का ही एक स्वरुप माना जाता है। 

अम्बाजी मंदिर, गुजरात 
गुजरात के बनासकांठा में स्थित अम्बाजी मंदिर देश के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अम्बा देवी को समर्पित है और इस मंदिर को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ है। माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था इसलिए यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में भी शामिल है। इस मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं है, यहाँ श्रीचक्र की पूजा की जाती है। 

कामाख्या मंदिर, असम 
गुवहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से। कामाख्या देवी को माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है। मान्यता के अनुसार यहाँ पर माता सती की योनि यहां गिरी थी, इसलिए इस स्थान को 51 शक्तिपीठों में से सबसे प्रमुख स्थल माना जाता है। कामाख्या मंदिर को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं। माना जाता है कि मंदिर के दरवाजे तीन दिनों के लिए बंद किए जाते हैं और इस समय मंदिर में एक सफेद रंग का कपड़ा बिछाया जाता है। कहा जाता है कि मंदिर के पट खोलने तक यह कपड़ा लाल हो जाता है। कामाख्या मंदिर में आंबुची मेले और दुर्गा पूजा में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।